Shodashi - An Overview

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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥

नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥

सच्चिद्ब्रह्मस्वरूपां सकलगुणयुतां निर्गुणां निर्विकारां

यदक्षरैकमात्रेऽपि संसिद्धे स्पर्द्धते नरः ।

Upon going for walks in direction of her historical sanctum and approaching Shodashi as Kamakshi Devi, her power improves in depth. Her templed is entered by descending down a darkish slender staircase having a group of other pilgrims into her cave-llike abode. There are many uneven and irregular steps. The subterranean vault is very hot and humid and however You will find a feeling of security and and security inside the dim light-weight.

चक्रेऽन्तर्दश-कोणकेऽति-विमले नाम्ना च रक्षा-करे ।

वन्दे सर्वेश्वरीं देवीं महाश्रीसिद्धमातृकाम् ॥४॥

सेव्यं गुप्त-तराभिरष्ट-कमले सङ्क्षोभकाख्ये सदा ।

॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी पञ्चरत्न स्तोत्रं ॥

Her magnificence is usually a gateway to spiritual awakening, building her an item of meditation and veneration for all those seeking to transcend worldly needs.

यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach

वन्दे तामष्टवर्गोत्थमहासिद्ध्यादिकेश्वरीम् ॥११॥

Just after falling, this Yoni over the Hill, it reworked into a stone for the benefit of human being however it is mentioned that also secretion of blood prevails periodically as though Goddess menstruates.

यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से Shodashi देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।

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